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  1. क्या आपको लगता है कि विद्यालयों में बालिकाओं के नामांकन का अनुपात पूर्व वर्षों की तुलना में सुधर रहा है ?

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  2. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: नारी शक्ति का उत्सव

    अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के अधिकारों, समानता और सशक्तिकरण का प्रतीक है। यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि समाज में महिलाओं की भूमिका को पहचानने और उन्हें समान अवसर देने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम भी है। इस दिन का उद्देश्य महिलाओं के प्रति सम्मान और सराहना प्रकट करना तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम करना है।

    अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास

    अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 20वीं शताब्दी की शुरुआत में हुई थी। 1908 में न्यूयॉर्क की करीब 15,000 महिलाओं ने अपने कामकाजी घंटों को घटाने, बेहतर वेतन और वोट देने के अधिकार की मांग को लेकर एक रैली निकाली। इसके बाद 1910 में जर्मनी की समाजवादी नेता क्लारा जेटकिन ने कोपेनहेगन में आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में महिला दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। 1911 में पहली बार ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में इसे आधिकारिक रूप से मनाया गया। 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने इसे वैश्विक मान्यता दी और 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया।

    महिलाओं की स्थिति और चुनौतियाँ

    समाज में महिलाओं की स्थिति में समय के साथ सुधार हुआ है, लेकिन अब भी उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, राजनीतिक भागीदारी और व्यक्तिगत स्वतंत्रता जैसे क्षेत्रों में महिलाओं को अभी भी पुरुषों के समान अधिकार पूरी तरह से नहीं मिले हैं। घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर भेदभाव और लैंगिक असमानता जैसी समस्याएँ आज भी बनी हुई हैं।

    हालाँकि, महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा साबित की है। विज्ञान, तकनीक, राजनीति, खेल और व्यापार जैसे क्षेत्रों में महिलाओं ने असाधारण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। कल्पना चावला, किरण बेदी, सानिया मिर्जा, मैरी कॉम, और इंदिरा गांधी जैसी कई महिलाओं ने समाज में अपनी पहचान बनाई और दूसरे लोगों को प्रेरित किया।

    महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रयास

    महिला सशक्तिकरण के लिए कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। भारत में "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ", "उज्ज्वला योजना", "सुकन्या समृद्धि योजना" और "महिला हेल्पलाइन" जैसी कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं, जिनका उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना है।

    इसके अलावा, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में भी महिलाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है। डिजिटल युग में महिलाएँ ऑनलाइन व्यापार और स्टार्टअप्स के माध्यम से आत्मनिर्भर बन रही हैं।

    अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का महत्व

    अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि यह महिलाओं की उपलब्धियों को सराहने और उनके अधिकारों की रक्षा करने की प्रेरणा देने वाला दिन है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि समाज को आगे बढ़ाने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों का समान योगदान आवश्यक है।

    हमें महिलाओं को केवल सहानुभूति नहीं, बल्कि समान अवसर और सम्मान देना चाहिए। महिलाओं की स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करना समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। जब एक महिला आगे बढ़ती है, तो पूरा समाज आगे बढ़ता है।

    अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हमें यह सिखाता है कि नारी केवल शक्ति ही नहीं, बल्कि समाज की आधारशिला भी है। हमें महिलाओं का सहयोग, समर्थन और सम्मान करना चाहिए ताकि वे हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकें और अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकें। यही सच्चे अर्थों में महिला दिवस का सार है।
    शोभित मलिक
    प्राथमिक विद्यालय हाथी करौदा शामली

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