परसों विद्यालयों में स्वतन्त्रता दिवस समारोह मनाया जायेगा | इसलिए आज सब बच्चे इस समारोह की तैयारी में व्यस्त होंगें | इसलिए प्राथमिक एवम् उच्च प्राथमिक विद्यालयों में आज की साप्ताहिक सभा में आज के लिए निर्धारित विषय-वस्तु पर चर्चा न करते हुए बच्चों को 'भारतीय राष्ट्रीय ध्वज' के विषय में जानकारी दी जायेगी-
भारत का राष्ट्रीय ध्वज:
- 1906:
- पहला राष्ट्रीय ध्वज, जिसमें लाल, पीले और हरे रंग की तीन क्षैतिज पट्टियाँ शामिल थीं, 7 अगस्त 1906 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में लोअर सर्कुलर रोड के पास पारसी बागान स्क्वायर पर फहराया गया था।
 
 - 1921:
- बाद में वर्ष 1921 में स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकय्या ने महात्मा गांधी से मुलाकात की और ध्वज के एक मूल डिज़ाइन का प्रस्ताव रखा, जिसमें दो लाल और हरे रंग की पट्टियाँ शामिल थीं।
 
 - 1931:
- वर्ष 1931 में कराची में कॉन्ग्रेस कमेटी की बैठक में तिरंगे को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था।
 
 - 1947:
- 22 जुलाई, 1947 को हुई संविधान सभा की बैठक के दौरान भारतीय ध्वज को उसके वर्तमान स्वरूप में अपनाया गया था।
 
 
- 1906:
 - भारतीय तिरंगे से संबंधित नियम:
- प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग रोकथाम) अधिनियम, 1950:
- यह राष्ट्रीय ध्वज, सरकारी विभाग द्वारा उपयोग किये जाने वाले चिह्न, राष्ट्रपति या राज्यपाल की आधिकारिक मुहर, महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री के चित्रमय निरूपण तथा अशोक चक्र के उपयोग को प्रतिबंधित करता है।
 
 
 - प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग रोकथाम) अधिनियम, 1950:
 - राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971:
- यह राष्ट्रीय ध्वज, संविधान, राष्ट्रगान और भारतीय मानचित्र सहित देश के सभी राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान को प्रतिबंधित करता है।
 - यदि कोई व्यक्ति अधिनियम के तहत निम्नलिखित अपराधों में दोषी ठहराया जाता है, तो वह 6 वर्ष की अवधि के लिये संसद एवं राज्य विधानमंडल के चुनाव लड़ने हेतु अयोग्य हो जाता है।
- राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करना।
 - भारत के संविधान का अपमान करना।
 - राष्ट्रगान के गायन को रोकना।
 
 - संविधान का भाग IV-A:
- संविधान का भाग IV-A (जिसमें केवल एक अनुच्छेद 51-A शामिल है) ग्यारह मौलिक कर्तव्यों को निर्दिष्ट करता है।
 - अनुच्छेद 51 A (a) के अनुसार, भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों एवं संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज तथा राष्ट्रगान का सम्मान करे।
 भारतीय ध्वज संहिता, 2002:
- ध्वज के सम्मान और उसकी गरिमा को बनाए रखते हुए तिरंगे के अप्रतिबंधित प्रदर्शन की अनुमति दी गयी ।
 - ध्वज संहिता, ध्वज के सही प्रदर्शन को नियंत्रित करने वाले पूर्व मौजूदा नियमों को प्रतिस्थापित नहीं करती है।
- हालाँकि यह पिछले सभी कानूनों, परंपराओं और प्रथाओं को एक साथ लाने का प्रयास था।
 
 - भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को तीन भागों में बाँटा गया है:
- पहले भाग में राष्ट्रीय ध्वज का सामान्य विवरण है।
 - दूसरे भाग में जनता, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्थानों आदि के सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन के विषय में बताया गया है।
 - संहिता का तीसरा भाग केंद्र और राज्य सरकारों तथा उनके संगठनों और अभिकरणों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के विषय में जानकारी देता है।
 
 - इसमें उल्लेख है कि तिरंगे का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये नहीं किया जा सकता है।
 - इसके अलावा ध्वज का उपयोग उत्सव के रूप में या किसी भी प्रकार की सजावट के प्रयोजनों के लिये नहीं किया जाना चाहिये।
 - आधिकारिक प्रदर्शन के लिये केवल भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित विनिर्देशों के अनुरूप चिह्न वाले झंडे का उपयोग किया जा सकता है।
 
हर घर तिरंगा अभियान:
- 'हर घर तिरंगा' आज़ादी का अमृत महोत्सव के तत्त्वावधान में लोगों को तिरंगा घर लाने और भारत की आज़ादी के 75वें वर्ष पर इसे फहराने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु एक अभियान है।
 - ध्वज के साथ हमारा संबंध हमेशा व्यक्तिगत से अधिक औपचारिक और संस्थागत रहा है।
 - स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में एक राष्ट्र के रूप में ध्वज को सामूहिक रूप से घर पर फहराना न केवल तिरंगे से व्यक्तिगत संबंध स्थापित करना है, बल्कि यह राष्ट्र-निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक भी बन जाता है।
 - इस पहल का उद्देश्य लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगाना और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है।
 
 
 

