आगे ही बढ़ना चाहूंगी
सेना का बनकर हिस्सा मैं
दुश्मन से लड़ना चाहूंगी
मैं भारत माॅं की बेटी हूॅं -----
पैरों की सब तोड़ जंजीरें
अब आगे बढ़ना चाहूंगी
पंख लगा कर पीठ पे अपने
अंबर में उड़ना चाहूंगी
मैं भारत माॅं की बेटी हूॅं -----
अंधियारों से लड़कर मैं तो
नवदीप जलाना चाहूंगी
पंथ पुराने भाते न मुझको
नया मार्ग बनाना चाहूंगी
मैं भारत माॅं की बेटी हूॅं -----
मन में साहस का बल भर कर
मैं पर्वत चढ़ना चाहूंगी
बनूं ज्ञान विज्ञान की वाहक
बस इतना पढ़ना चाहूंगी
मैं भारत माॅं की बेटी हूॅं -----
डॉ0 संदीप कुमार
उच्च प्राथमिक विद्यालय मिठौली
सम्भल, उत्तर प्रदेश

