सम्मानित शिक्षिका/शिक्षक,
कभी-कभी कोई नन्हा अंकुर भूमि से इसलिए बाहर नहीं आ पाता क्योंकि उसके सिर के ऊपर कोई बोझ आ जाता है जैसे कि मिट्टी का कोई ढेला या फिर कुछ और ... इसी तरह का बोझ... | लेकिन ऐसा हर बार नहीं होता कि वो बोझ अंकुर को बाहर आने से रोक ही ले | कुछ अंकुर अपने सिर पर रखे बोझ पर विजय प्राप्त करके ही दम लेते हैं | वो आज़ादी की खुली हवा में आकर वो खूब पनपते हैं | नया उजाला पाकर वो खूब फलते-फूलते हैं | उन पर आशाओं के पुष्प खिलते हैं जिनकी खुशबू से वातावरण दूर-दूर तक महकने लगता है | उन पर खुशियों के बीज लगते हैं और दूर-दूर तक बिखरते हैं |
आप भी अवश्य ही किसी ऐसी घटना के साक्षी रहे होंगें | यदि हाँ तो हमें उस अंकुर अर्थात बच्चे/बच्ची की कहानी हमें लिख भेजिए | हम उसे यहाँ पर प्रकाशित करेंगें ताकि औरों को भी प्रेरणा मिले | आपकी कहानी सच्ची होनी चाहिए | घटना में स्थान और समय/कालखण्ड का वर्णन वास्तविक होना चाहिए | कोई समस्या न हो आप बच्चे का चित्र भी भेज सकते हैं |