दरिया की कसम मौजों की कसम
ये ताना-बाना बदलेगा
तू खुद को बदल तू खुद को बदल
तब ही तो जमाना बदलेगा
तू चुप रह कर जो सहती रही
तो क्या ये जमाना बदला है
तू बोलेगी मुँह खोलेगी
तब ही तो जमाना बदलेगा
दस्तूर पुराने सदियों के
ये आए कहीं से क्यों आए
कुछ तो सोचो कुछ तो समझो
ये क्यों तुमने हैं अपनाए
आवाज़ उठा कदमों को मिला
रफ़्तार जरा कुछ और बढ़ा
पूरब से उठो पश्चिम से उठो
उत्तर से उठो दक्षिण से उठो
फिर सारा जमाना बदलेगा।
-अज्ञात